वो देखो फिर एक सपना जल रहा हैं....













वो देखो फिर एक सपना जल रहा हैं..


उठते हुए धुँए में इंसां नया पल रहा हैं




देखा था जो सपना उस रात को

सोचा, समझा और जाना उस अनजानी बात को,

कि  कहीं  जिसे  समझा सूरज जीवन का, क्या अब वो ढल रहा हैं ?


वो देखो फिर एक सपना जल रहा हैं....



पाने  की  जिसे  हमने हज़ारो कोशिश की हैं

मन में  जिसके  लिए  हलकी सी किशश  भी हैं,

दूर होने का डर उससे, कहीं तो मुझे सल रहा हैं

वो देखो फिर एक सपना जल रहा हैं....




जो देखा मैंने सपना वो उसे समझाना हैं

रखने हैं खोल के पहलु सारे, सच वो बतलाना हैं

करना होगा यकीं खुद पर, नहीं तो इस बात को  मिल  बल रहा हैं  की ,

वो देखो फिर एक सपना जल रहा हैं....



उमंग भरी  जिसने  मेरे स्वपन में

और भरे रंग इस श्वेत-श्याम जीवन में,

हर हाल में पाना हैं उसे, उलझन का  मिल  यही हल रहा हैं.

वो देखो फिर एक सपना जल रहा हैं....

7 comments:

होसलों से विश्वास पनपता है और विश्वास हो तो सपने जरूर सच होंगे
http://veenakesur.blogspot.com/

हम होंसलो के दरिया में विश्वाश की नाव ले कर कब से बैठे थे,
पर जब पता चला कि उन्हें पानी से डर लगता हे तो सपना टूट गया.

वीना जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने मेरी कविता को पढ़ने का समय निकाला |

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

हौसला और विश्वाश है तो सपने जरुर सच होंगे|

सुन्दर अभिव्यक्ति ,शुभ कामनाएं । कुछ हट कर खबरों को पढ़ना चाहें तो जरूर पढ़े - " "खबरों की दुनियाँ"


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हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

सुन्दर अभिव्यक्ति