मन क्युँ है तु आज उदास ?


मन क्युँ है तु आज उदास.
 क्या सोच रहा है किसकी है आस

किस बात की है तुझे पीङा
  क्युँ उठा रखा है नही बताने का बीङा
क्युँ बन रहा है तु अँधियारे का दास..
क्या सोच रहा है किसकी है आस....

क्युँ जागते हुए भी सोता है
  मन ही मन न जाने क्युँ रोता है
पीने का है मन फिर क्युँ नही पीता है
जब बोतल रखी है पास....
मन क्युँ है तु आज उदास...

देख नया सवेरा आयेगा
आशाओ कि किरण लायेगा
उठ जाग और पा ले सपने
याद करे तुझे पराये और अपने
कुछ इस तरह जीवन को तराश...

मन क्युँ है तु आज उदास....
 क्या सोच रहा है किसकी है आस
    क्युँ है तु आज उदास....
 

बरस क्यों नही जाते हो......


ओ बादलो क्यों तरसाते हो
इस मरुभुमि पर बरस क्यों नही जाते हो

सोने कि सी इस मिट्टी पर
वीरो की इस जननी पर
क्यों हलधरो को तरसाते हो
ओ मेघदुतो बरस क्यों नही जाते हो....
इस मरुभुमि पर बरस क्यों नही जाते हो....

जहाँ सुरज रोद्र रुप दिखलाता है
पत्ता-पत्ता गर्मी से कुम्हलाता है
ऐसे तरुओ व लोगो को क्यों तड़पाते हो
ओ मेघो बरस क्यों नही जाते हो.....

तुम बरसो ताकि हो हरियाली
हरियाली से चारो तरफ फैले खुशहाली
इस भुमि से क्यों सुखे ही चले जाते हो
ओ मेघो बरस क्यों नही जाते हो.....
इस मरुभुमि पर बरस क्यों नही जाते हो