कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
ये उस माँ कि बूढ़ी आँखों का जल हैं
लड़ रहे बच्चे जिसके सम्पति के लोभ में आजकल हैं |
कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
लगता पसीना हैं जो ये मजदूर तपती दोपहर में बहा रहा हैं ,
दिनभर हाड़तोड़ मेहनत कर के बड़ी मुश्किल से ३ बच्चो को खाना खिला रहा हैं |
कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
हो सकता हैं ये आँख के पीछे छिपा पानी किसान कि ,
इंतज़ार हैं जिसे बारिश और चिंता हैं खेत खलिहान कि ....
कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
नहीं ये तो शराब हैं उस शराबी के पैमाने कि ,
सुना रहा हैं जो बिजली के खम्बे को कहानी अपने ज़माने कि |
कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
ये उस माँ कि बूढ़ी आँखों का जल हैं
लड़ रहे बच्चे जिसके सम्पति के लोभ में आजकल हैं |
कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
लगता पसीना हैं जो ये मजदूर तपती दोपहर में बहा रहा हैं ,
दिनभर हाड़तोड़ मेहनत कर के बड़ी मुश्किल से ३ बच्चो को खाना खिला रहा हैं |
कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
हो सकता हैं ये आँख के पीछे छिपा पानी किसान कि ,
इंतज़ार हैं जिसे बारिश और चिंता हैं खेत खलिहान कि ....
कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
नहीं ये तो शराब हैं उस शराबी के पैमाने कि ,
सुना रहा हैं जो बिजली के खम्बे को कहानी अपने ज़माने कि |
कभी - कभी सोचता हूँ क्या हैं ये सागर ?
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