बचपन :-
याद आता हैं वो बचपन ....
वो खट्टी मीठी यादें वो खुशनुमा पल
करना वो पहली बारिश का इंतज़ार
हो जाना सब कपडे उतार के भीगने को तैयार ...
वो सूखी रेत पर पानी की बूंदों से उड़ती खुशबु ...
कर देती थी नन्हे से मन को बेकाबू .....
गीली मिटी से घर , मंदिर और किले गए हैं बन
याद आता हैं वो बचपन ....
करना जिद्द आइसक्रीम की मम्मी पापा से
जाना दादाजी के साथ घुमने टॉफी के लालच से
बनाना वो चिकनी मिट्टी के खिलोने और उनका संसार
जीत लेना दादी से प्यारी पप्पी सुना के बाते प्यारी प्यारी बातें हर बार
बहुत काम आता था हमारा वो तुतलाना और भोलापन .....
याद आता हैं वो बचपन ...
पकड़ लेना चलते मेंढक को अपने उन नन्हे हाथो से
चबा जाना पप्पा के हाथो को उगते हुए दातों से
तेरा गुड्डा मेरी गुड़िया से ब्याह रचाएगा ....
नहीं तो तेरे गुड्डे को बाबाजी ले जाएगा ...
कब स्कूल खत्म होगा यही रहती थी टेंशन ..
याद आता हैं वो बचपन ...
वो आधी छुट्टी की घंटी का बजाना
वो गुरूजी के चांटे का गाल पे छपना .
क्लास का मोनिटर मैं बनूँगा
सब से पहले मैं सवाल हल करूँगा
पहला स्थान कक्षा में कैसे लाऊं यही रहती थी उलझन.....
याद आता हैं वो बचपन .....
चढ़ जाना पेड़ पर बन्दर की तरह ...
बचा के रखना दोस्त के लिए हर जगह ....
सुबह को कट्टी और शाम को फिर से राज़ी
छुपम्छुपाई मैं डाम लाने की अब तेरी बाजी
वो खट्टे - मीठे , हल्के - फुल्के, गुनगुनी धुप से वो पल वो क्षण ..
याद आता हैं वो बचपन .....
याद आता हैं वो बचपन ....
वो खट्टी मीठी यादें वो खुशनुमा पल
करना वो पहली बारिश का इंतज़ार
हो जाना सब कपडे उतार के भीगने को तैयार ...
वो सूखी रेत पर पानी की बूंदों से उड़ती खुशबु ...
कर देती थी नन्हे से मन को बेकाबू .....
गीली मिटी से घर , मंदिर और किले गए हैं बन
याद आता हैं वो बचपन ....
करना जिद्द आइसक्रीम की मम्मी पापा से
जाना दादाजी के साथ घुमने टॉफी के लालच से
बनाना वो चिकनी मिट्टी के खिलोने और उनका संसार
जीत लेना दादी से प्यारी पप्पी सुना के बाते प्यारी प्यारी बातें हर बार
बहुत काम आता था हमारा वो तुतलाना और भोलापन .....
याद आता हैं वो बचपन ...
पकड़ लेना चलते मेंढक को अपने उन नन्हे हाथो से
चबा जाना पप्पा के हाथो को उगते हुए दातों से
तेरा गुड्डा मेरी गुड़िया से ब्याह रचाएगा ....
नहीं तो तेरे गुड्डे को बाबाजी ले जाएगा ...
कब स्कूल खत्म होगा यही रहती थी टेंशन ..
याद आता हैं वो बचपन ...
वो आधी छुट्टी की घंटी का बजाना
वो गुरूजी के चांटे का गाल पे छपना .
क्लास का मोनिटर मैं बनूँगा
सब से पहले मैं सवाल हल करूँगा
पहला स्थान कक्षा में कैसे लाऊं यही रहती थी उलझन.....
याद आता हैं वो बचपन .....
चढ़ जाना पेड़ पर बन्दर की तरह ...
बचा के रखना दोस्त के लिए हर जगह ....
सुबह को कट्टी और शाम को फिर से राज़ी
छुपम्छुपाई मैं डाम लाने की अब तेरी बाजी
वो खट्टे - मीठे , हल्के - फुल्के, गुनगुनी धुप से वो पल वो क्षण ..
याद आता हैं वो बचपन .....
2 comments:
सुंदर चित्रों के साथ सजी कविता अच्छी लगी .....
this one is good, but few of your older posts , i liked more.
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